Qita Poetry (page 19)
कत्थई आँखों वाली इक लड़की
जावेद अख़्तर
कश्मकश
अमीरुल इस्लाम हाशमी
काश हम लोग लड़ गए होते
मुस्तफ़ा ज़ैदी
करम तेरा कि बे-जौहर नहीं मैं
अल्लामा इक़बाल
करम जब आम है साक़ी तो फिर तख़सीस ये कैसी
नज़ीर बनारसी
कर दिया हाफ़िज़े में हश्र बपा
अख़्तर अंसारी
कर चुकी है मिरी मोहब्बत क्या
जाँ निसार अख़्तर
कल अपने मुरीदों से कहा पीर-ए-मुग़ाँ ने
अल्लामा इक़बाल
कैसे बे-सोज़ लोग हो यारो
नरेश कुमार शाद
कैफ़ पर भी है कैफ़ का आलम
नरेश कुमार शाद
कैफ़ ही कैफ़ है फ़ज़ाओं में
दिलावर सिंह
कई बरस से है वीरान मर्ग़ज़ार-ए-शबाब
अहमद नदीम क़ासमी
कहीं दरिया कहीं वादी कहीं कोहसार बनी
अली सरदार जाफ़री
कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग
अज़हर इक़बाल
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
आसिम पीरज़ादा
कहा 'इक़बाल' ने शैख़-ए-हरम से
अल्लामा इक़बाल
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
साग़र ख़य्यामी
कह रही है रविश की ताबानी
साबिर दत्त
काफ़ी वसीअ सिलसिला-ए-इख़्तियार है
अब्दुल हमीद अदम
कभी तन्हाई-ए-कोह-ओ-दमन इश्क़
अल्लामा इक़बाल
कभी पहलू में समुंदर के तड़प उठती हैं
अली सरदार जाफ़री
कभी नर्मी कभी सख़्ती कभी उलझन कभी डर
अज्ञात
कभी न पलटेगी बीती हुई घड़ी लेकिन
अहमद नदीम क़ासमी
कभी हो गया मयस्सर न हुआ कभी मयस्सर
अनवर मसूद
कभी आवारा ओ बे-ख़ानुमाँ इश्क़
अल्लामा इक़बाल
कब तक बोझल पलकों से अश्कों के सितारे टूटेंगे
अहमद राही
कामयाबी का है 'रईस' इम्काँ
रईस अमरोहवी
काम आईं शोख़ियाँ न अदा कारगर हुई
क़मर जलालवी
जो सफ़र भी था ज़िंदगानी का
सूफ़ी तबस्सुम
जो रानाई निगाहों के लिए फ़िरदौस-ए-जल्वा है
जौन एलिया