रफ़ी रज़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रफ़ी रज़ा

रफ़ी रज़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रफ़ी रज़ा
नामरफ़ी रज़ा
अंग्रेज़ी नामRafi Raza
जन्म की तारीख1962
जन्म स्थानToronto

तू ख़ुद अपनी मिसाल है वो तो है

पड़ा हुआ हूँ मैं सज्दे में कह नहीं पाता

मैं सामने से उठा और लौ लरज़ने लगी

किस ने रोका है सर-ए-राह-ए-मोहब्बत तुम को

एक उजड़ी हुई हसरत है कि पागल हो कर

एक मज्ज़ूब उदासी मेरे अंदर गुम है

एक दिन अपना सहीफ़ा मुझ पे नाज़िल हो गया

धूप छाँव का कोई खेल है बीनाई भी

आईने को तोड़ा है तो मालूम हुआ है

ज़मीं का बोझ और उस पर ये आसमान का बोझ

वहशत में निकल आया हूँ इदराक से आगे

रात मैं शाना-ए-इदराक से लग कर सोया

पेड़ सूखा हर्फ़ का और फ़ाख़ताएँ मर गईं

मैं अपनी आँख को उस का जहान दे दूँ क्या

लम्स को छोड़ के ख़ुशबू पे क़नाअ'त नहीं करने वाला

ख़्वाब में या ख़याल में मुझे मिल

कभी जो ख़ाक की तक़रीब-ए-रू-नुमाई हुई

एक मज्ज़ूब उदासी मेरे अंदर गुम है

अगरचे वक़्त मुनाजात करने वाला था

आँख सहमी हुई डरती हुई देखी गई है

आना जाना है तो क़ामत से तुम आओ जाओ

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