उन से दिल मिलते ही फ़ुर्क़त की बला भी आई

उन से दिल मिलते ही फ़ुर्क़त की बला भी आई

जान आने भी न पाई कि क़ज़ा भी आई

अब तो तुम गोर-ए-ग़रीबाँ को चलो बे-पर्दा

उस की शम्ओं' को हवा जा के बुझा भी आई

हिज्र में अर्श से नाकाम दुआ ही न फिरी

ना-रसा हो के मिरी आह-ए-रसा भी आई

बात पूरी न सुनी हम ने कभी नासेह की

टोक उठे अपनी समझ में जो ज़रा भी आई

फेर ली रुख़ से नज़र उस ने किस अंदाज़ के साथ

आइने में जो नज़र अपनी अदा भी आई

देख कर हाल मिरा उन से हँसी रुक न सकी

रोकने के लिए हर चंद हया भी आई

ना'श पे आ के मिरी उस ने वो बातें छेड़ीं

हर अज़ादार को इबरत भी हया भी आई

निगह-ए-शौक़ ने क्या राज़-ए-निहाँ फ़ाश किया

हम से पर्दा भी हुआ आज हया भी आई

नज़्अ' में आ के मिरी सिर्फ़ ये पूछा उस ने

अब बताओ किसी मसरफ़ में वफ़ा भी आई

दिल ही ख़स्ता न हुआ लश्कर-ए-ग़म के हाथों

बल्कि इस मा'रके में काम दुआ भी आई

दा'वा-ए-सेहर-ए-बयानी है अबस ऐ 'राग़िब'

'मीर'-साहिब की तुम्हें तर्ज़-ए-अदा भी आई

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In Hindi By Famous Poet Raghib Badayuni. is written by Raghib Badayuni. Complete Poem in Hindi by Raghib Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.