कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
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सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
दोस्ती जब किसी से की जाए
साथ मंज़िल थी मगर ख़ौफ़-ओ-ख़तर ऐसा था
इसे सामान-ए-सफ़र जान ये जुगनू रख ले
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं
मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग
घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं