एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Gulzar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1410) Peoples Rate This
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की
हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते
जब कभी फूलों ने ख़ुश्बू की तिजारत की है
सबब वो पूछ रहे हैं उदास होने का
जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से
सब को रुस्वा बारी बारी किया करो
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
जो मंसबों के पुजारी पहन के आते हैं
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा कर के