शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
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एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
नए किरदार आते जा रहे हैं
सर पर सात आकाश ज़मीं पर सात समुंदर बिखरे हैं
दोस्ती जब किसी से की जाए
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
उसे अब के वफ़ाओं से गुज़र जाने की जल्दी थी
मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की