उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2105) Peoples Rate This
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
ये ख़ाक-ज़ादे जो रहते हैं बे-ज़बान पड़े
पुराने दाँव पर हर दिन नए आँसू लगाता है
जब कभी फूलों ने ख़ुश्बू की तिजारत की है
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
अपने दीवार-ओ-दर से पूछते हैं
ज़िंदगी की हर कहानी बे-असर हो जाएगी
मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
चराग़ों का घराना चल रहा है
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा कर के