मुझ से इक इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था
मुझ से इक इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था
साथ मेरे मुझे क्या ख़बर दूसरा कौन था
ता-ब-मंज़िल ये बिखरी हुई गर्द-ए-पा किस की है
ऐ बराबर क़दम दोस्तो वो जुदा कौन था
जाने किस ख़तरे ने बख़्श दी सब को हम-साएगी
वर्ना इक दूसरे से यहाँ आश्ना कौन था
पहले किस की नज़र में ख़ज़ाने थे उस पार के
मिस्ल मेरे हदों से उधर देखता कौन था
कौन था मौसम-ए-साफ़ भी जिस को आया न रास
कुछ तो हम से कहो वो हलाक-ए-हवा कौन था
कौन था मेरे पर तौलने पर नज़र जिस की थी
जिस ने सर पर मिरे आसमाँ रख दिया कौन था
किस की भीगी सदा झाँकती थी मिरी ख़ाक से
मैं था अपना खंडर इस में मेरे सिवा कौन था
कौन था क़ाइल-ए-क़हर होना था जिस को अभी
टूट कर जिस पे बरसी भयानक घटा कौन था
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