राम रियाज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राम रियाज़

राम रियाज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राम रियाज़
नामराम रियाज़
अंग्रेज़ी नामRam Riyaz
जन्म की तारीख1933
मौत की तिथि1990
जन्म स्थानPakistan

ज़िंदगी तो सपना है कौन 'राम' अपना है

ज़िंदगी कशमकश-ए-वक़्त में गुज़री अपनी

तिरे इंतिज़ार में इस तरह मिरा अहद-ए-शौक़ गुज़र गया

जो तेरे ग़म में जले हैं वो फिर बुझे ही नहीं

हम ओस के क़तरे हैं कि बिखरे हुए मोती

अब कहाँ वो पहली सी फ़ुर्सतें मयस्सर हैं

आँसू जो बहें सुर्ख़ तो हो जाती हैं आँखें

ज़िंदाँ में भी वही लब-ओ-रुख़्सार देखते

ज़र्रा इंसान कभी दश्त-नगर लगता है

यादों के दरीचों को ज़रा खोल के देखो

तेरी महफ़िल में सितारे कोई जुगनू लाया

सरमा था मगर फिर भी वो दिन कितने बड़े थे

रूह में घोर अंधेरे को उतरने न दिया

रौशनी वाले तो दुनिया देखें

न आँखें सुर्ख़ रखते हैं न चेहरे ज़र्द रखते हैं

मुस्कुराती आँखों को दोस्तों की नम करना

मुझे कैफ़-ए-हिज्र अज़ीज़ है तू ज़र-ए-विसाल समेट ले

मैं अँधेरों का पुजारी हूँ मिरे पास न आ

लहकती लहरों में जाँ है किनारे ज़िंदा हैं

लफ़्ज़ बे-जाँ हैं मिरे रूह-ए-मआनी मुझे दे

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

किसी मरक़द का ही ज़ेवर हो जाएँ

कहीं जंगल कहीं दरबार से जा मिलता है

इस डर से इशारा न किया होंट न खोले

गुज़िश्ता अहल-ए-सफ़र को जहाँ सुकून मिला

दिल में तो बहुत कुछ है ज़बाँ तक नहीं आता

अब के इस तरह तिरे शहर में खोए जाएँ

आँखों में तेज़ धूप के नेज़े गड़े रहे

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