ग़ैर की ख़ातिर से तुम यारों को धमकाने लगे

ग़ैर की ख़ातिर से तुम यारों को धमकाने लगे

आ के मेरे रू-ब-रू तलवार चमकाने लगे

जी में क्या गुज़रा था कल जो आप रख क़ब्ज़े पे हाथ

ख़ूब सा घूरे मुझे और तन के बल खाने लगे

दिल तलब मुझ से किया मैं ने कहा हाज़िर नहीं

ये ग़ज़ब देखो मचल कर पाँव फैलाने लगे

क़त्ल कर कर ये नहीं मालूम क्या गुज़रा ख़याल

देख वो बिस्मिल मुझे कुछ हैफ़ सा खाने लगे

यार मुझ को देख ज़ा रोना तो उन सा हिज्र में

मुश्फ़िक़ाना कुछ नसीहत जबकि फ़रमाने लगे

जल के 'रंगीं' मैं ने ये मिस्रा 'तजल्ली' का पढ़ा

''दिल को समझाओ मुझे क्या आ के समझाने लगे''

(585) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rangin Saadat Yaar Khan . is written by Rangin Saadat Yaar Khan . Complete Poem in Hindi by Rangin Saadat Yaar Khan . Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.