Ghazals of Rasheed Lakhnavi

Ghazals of Rasheed Lakhnavi
नामरशीद लखनवी
अंग्रेज़ी नामRasheed Lakhnavi
जन्म की तारीख1846
मौत की तिथि1917
जन्म स्थानLucknow

वस्ल के दिन का इशारा है कि ढल जाऊँगा

उक़्दे उल्फ़त के सब ऐ रश्क-ए-क़मर खोल दिए

ठहर जावेद के अरमाँ दिल-ए-मुज़्तर निकलते हैं

तनख़्वाह-ए-तबर बहर-ए-दरख़्तान-ए-कुहन है

सुर्ख़ हो जाता है मुँह मेरी नज़र के बोझ से

सिलसिला-जुम्बान-ए-वहशत में नई तदबीर से

शुरूअ' अहल-ए-मोहब्बत के इम्तिहान हुए

शराब-ए-नाब का क़तरा जो साग़र से निकल जाए

राज़ उल्फ़त के अयाँ रात को सारे होते

नज़र कर तेज़ है तक़दीर मिट्टी की कि पत्थर की

न छोड़ा दिल-ए-ख़स्ता-जाँ चलते चलते

मुझ को मंज़ूर है मरने पे सुबुक-बारी हो

मार डालेगी हमें ये ख़ुश-बयानी आप की

ख़ार-ओ-ख़स फेंके चमन के रास्ते जारी करे

कभी गेसू न बिगड़े क़ातिल के

जुनूँ की फ़स्ल आई बढ़ गई तौक़ीर पत्थर की

जोश-ए-वहशत मेरे तलवों को ये ईज़ा भी सही

जो मुझे मर्ग़ूब हो वो सोगवारी चाहिए

जो हवा है सूरत-ए-बाद-ए-मुख़ालिफ़ तेज़ है

जिस को आदत वस्ल की हो हिज्र से क्यूँकर बने

जब से सुना दहन तिरे ऐ माह-रू नहीं

हम अजल के आने पर भी तिरा इंतिज़ार करते

हिज्र है अब था यहीं में ज़ार हम पहलू-ए-दोस्त

है बे-ख़ुद वस्ल में दिल हिज्र में मुज़्तर सिवा होगा

है अंधेरा तो समझता हूँ शब-ए-गेसू है

हाए शर्म-ए-दिलबरी उस दिलरुबा के हाथ है

गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं

गर्दिश-ए-चश्म है पैमाने में

दिला मा'शूक़ जो होता है वो सफ़्फ़ाक होता है

दिल हमारा जानिब-ए-ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम आएगा

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