रियाज़ मजीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रियाज़ मजीद

रियाज़ मजीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रियाज़ मजीद
नामरियाज़ मजीद
अंग्रेज़ी नामRiaz Majeed
जन्म की तारीख1942

वक़्त ख़ुश ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए

सिमटती फैलती तन्हाई सोते जागते दर्द

इसी हुजूम में लड़-भिड़ के ज़िंदगी कर लो

इक घर बना के कितने झमेलों में फँस गए

अंदेशा-हा-ए-दूर-दराज़

वो दिल कि था कभी सरसब्ज़ खेतियों की तरह

वक़्त ख़ुश-ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए

उस ने इक दिन भी न पूछा बोल आख़िर किस लिए

सत्‌ह-बीं थे सब, रहे बाहर की काई देखते

रात दिन महबूस अपने ज़ाहिरी पैकर में हूँ

निशान क़ाफ़ला-दर-क़ाफ़ला रहेगा मिरा

मुसाफ़िरत के तहय्युर से कट के कब आए

मासूम ख़्वाहिशों की पशीमानियों में था

मकान-ए-दिल से जो उठता था वो धुआँ भी गया

किसी भी तौर तबीअ'त कहाँ सँभलने की

ख़ुद में झाँका तो अजब मंज़र नज़र आया मुझे

कौन से जज़्बात ले कर तेरे पास आया करूँ

जो सोचता हूँ अगर वो हवा से कह जाऊँ

जो सैल-ए-दर्द उठा था वो जान छोड़ गया

जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा

हम फ़लक के आदमी थे साकिनान-ए-क़र्या-ए-महताब थे

हो गया है एक इक पल काटना भारी मुझे

दर्द ग़ज़ल में ढलने से कतराता है

छुपे हुए थे जो नक़्द-ए-शुऊ'र के डर से

बजा है हम ज़रूरत से ज़ियादा चाहते हैं

बदल सका न जुदाई के ग़म उठा कर भी

आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल

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