रिफ़अत सेठी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रिफ़अत सेठी
नाम | रिफ़अत सेठी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rifat Sethi |
यूँही गर लुत्फ़ तुम लेते रहोगे ख़ूँ बहाने में
फिर तुम रुख़-ए-ज़ेबा से नक़ाब अपने उठा दो
नक़ाब-ए-रुख़ उठा कर हुस्न जब जल्वा-फ़िगन होगा
मोहब्बत में वफ़ा वालों को कब ईज़ा सताती है
लोग उट्ठे हैं तिरी बज़्म से क्या क्या हो कर
होते हैं ख़त्म अब ये लम्हात ज़िंदगी के