रिफ़अत सुलतान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रिफ़अत सुलतान
नाम | रिफ़अत सुलतान |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Rifat Sultan |
उम्र भर तुझ को देखने पर भी
तू मिरी बात का जवाब न दे
मुझे भी यूँ तो बड़ी आरज़ू है जीने की
जी रहा हूँ कुछ इस तरह जैसे
जलता रहा हूँ ज़ीस्त के दोज़ख़ में उम्र भर
ग़म-ए-हयात से इतनी भी है कहाँ फ़ुर्सत
दिल में कोई ख़ुशी नहीं लेकिन
अब इस मक़ाम पे लाई है ज़िंदगी मुझ को
सफ़र-ए-ज़िंदगी नहीं आसाँ
रहा असीर कई साल नक़्श-ए-पा की तरह
नादान दिल-फ़रेब मोहब्बत न खा कभी
ना-आश्ना-ए-दर्द नहीं बेवफ़ा नहीं
मसर्रतों का खिला है हर एक सम्त चमन
लम्हा लम्हा शुमार करता हूँ
जो रिवायात भूल जाते हैं
जब से आया हूँ तेरे गाँव में
जब नशात-ए-अलम नहीं होता
इब्तिदा हूँ कि इंतिहा हूँ मैं
हुए जब से मोहब्बत-आश्ना हम
बहारों को चमन याद आ गया है
अगर क़दम तिरे मय-कश का लड़खड़ा जाए
अब कहीं साया-ए-गेसू भी नहीं