Rubaai Poetry (page 30)

ऐ मअनी-ए-काइनात मुझ में आ जा

फ़िराक़ गोरखपुरी

ऐ ख़िज़्र के रहबर मुझे गुमराह न कर

मिर्ज़ा सलामत अली दबीर

ऐ ख़ालिक़-ए-ज़ुल-फ़ज़्ल-ओ-करम रहमत कर

मीर अनीस

ऐ दिल जो ये आँख आज लड़ाई उस ने

नज़ीर अकबराबादी

ऐ चश्म-ए-ग़मीं तेरे एवज़ रोए कौन

ग़ुलाम मौला क़लक़

ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो

इस्माइल मेरठी

ऐ बार-ए-ख़ुदा ये शोर-ओ-ग़ौग़ा क्या है

इस्माइल मेरठी

ऐ बख़्त-ए-रसा सू-ए-नजफ़ राही कर

मीर अनीस

ऐ बख़्त! मज़े कुछ तो उठाऊँ मैं भी

अख़्तर अंसारी

ऐ ऐश-ओ-तरब तू ने जहाँ राज किया

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ऐ अहल-ए-फ़रासत बढ़ो बे-ख़ौफ़-ओ-हिरास

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

ऐ अब्र कहाँ तक तिरे रस्ते देखें

ग़ुलाम मौला क़लक़

अहवाल से कहा किसी ने ऐ नेक-शिआ'र

इस्माइल मेरठी

अहमद का मक़ाम है मक़ाम-ए-महमूद

इस्माइल मेरठी

अहबाब से उम्मीद है बे-जा मुझ को

मीर अनीस

अहबाब ने सौ तरह हमें ख़्वार किया

ओबैदुर् रहमान

अहबाब मुलाक़ात को जो आते हैं

रशीद लखनवी

अफ़्ज़ूँ जो शबाब दम-ब-दम होता है

अहमद हुसैन माइल

अफ़्ज़ूँ हैं बयाँ से मोजिज़ात-ए-हैदर

मीर अनीस

अफ़ज़ल कोई मुर्तज़ा से हिम्मत में नहीं

मीर अनीस

अफ़्सुर्दगी और गर्म-जोशी भी ग़लत

इस्माइल मेरठी

अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास

फ़िराक़ गोरखपुरी

अफ़्सोस तिरी वज़्अ पे आता है 'क़लक़'

ग़ुलाम मौला क़लक़

अफ़सोस शिकायत-ए-निहानी न गई

मोमिन ख़ाँ मोमिन

अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा

जोश मलीहाबादी

अफ़्सोस कि जिस दिन से हम आज़ाद हुए

अमीर चंद बहार

अफ़्साना-ए-यार बहर-ए-वसलत है लज़ीज़

ग़ुलाम मौला क़लक़

अफ़्साना-ए-ग़म है शादमानी मेरी

सूफ़ी तबस्सुम

अफ़्लास अच्छा न फ़िक्र-ए-दौलत अच्छी

जगत मोहन लाल रवाँ

अफ़्लाक पे जब परचम-ए-शब लहराया

फ़िराक़ गोरखपुरी

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