Rubaai Poetry (page 31)
अदयान-ओ-मज़ाहिब ओ मिलल की जंगें
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
अदना से जो सर झुकाए आला वो है
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
अब ज़ेर-ए-क़दम लहद का बाब आ पहुँचा
मीर अनीस
अब ये भी नहीं कि नाम तो लेते हैं
फ़ानी बदायुनी
अब वक़्त-ए-सुरूर- ओ फ़रहत-अंदोज़ी है
मीर अनीस
अब वलवले इश्क़ के तमन्ना में नहीं
सूफ़ी तबस्सुम
अब क़ौम की जो रस्म है सो ऊल-जुलूल
इस्माइल मेरठी
अब ख़्वाब से चौंक वक़्त-ए-बेदारी है
मीर अनीस
अब जज़्बा-ए-वहशत की क़सम मत खाओ
बाक़र मेहदी
अब हिन्द की ज़ुल्मत से निकलता हूँ मैं
मीर अनीस
अब गर्म ख़बर मौत के आने की है
मीर अनीस
अब दुश्मन-ए-जाँ ही कुल्फ़त-ए-ग़म साक़ी
जगत मोहन लाल रवाँ
अब और ज़मीन-ओ-आसमाँ पैदा हो
रशीद लखनवी
आज़ादि-ए-फ़िक्र ओ दर्स-ए-हिकमत है गुनाह
जोश मलीहाबादी
आया हूँ मैं जानिब-ए-अदम हस्ती से
इस्माइल मेरठी
आवाज़ पे संगीत का होता है भरम
फ़िराक़ गोरखपुरी
आवारा-ए-हिर्स दर-ब-दर फिरता है
बयान मेरठी
आती है तो खिलती है गुलाबों की तरह
क़तील शिफ़ाई
आता नहीं साँसों में मज़ा पीने का
अख़्तर अंसारी
आता है जो मुँह में मुझे कह देती हो
सना गोरखपुरी
आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
अख़्तर अंसारी
आशोब-ए-ज़माना से है डरना कैसा
ओबैदुर् रहमान
आशिक़ के लिए रंज-ओ-अलम रक्खे हैं
सादिक़ैन
आशिक़ जो हुआ है तू किसी पर नागाह
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
आशिक़ ही फ़क़त नहीं है जंजालों में
मुनीर शिकोहाबादी
आसार-ए-ज़वाल
अल्ताफ़ हुसैन हाली
आसाँ नहीं हाल-ए-दिल अयाँ हो जाना
सूफ़ी तबस्सुम
आप हैं महव-ए-हुस्न-ओ-रानाई
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
आँखों में वो रस जो पत्ती पत्ती धो जाए
फ़िराक़ गोरखपुरी
आँखों में सहर झलक रही है गोया
नरेश कुमार शाद