सादुल्लाह शाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सादुल्लाह शाह

सादुल्लाह शाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सादुल्लाह शाह
नामसादुल्लाह शाह
अंग्रेज़ी नामSaadullah Shah
जन्म की तारीख1958

तुम ने कैसा ये राब्ता रक्खा

तू रुके या न रुके फ़ैसला तुझ पर छोड़ा

तू न रुस्वा हो इस लिए हम ने

मुझ सा कोई जहान में नादान भी न हो

अपनी सोचें सफ़र में रहती हैं

ऐसे लगता है कि कमज़ोर बहुत है तू भी

उदास मौसम के रतजगों में

ये रात दिन का बदलना नज़र में रहता है

ये जमाल क्या ये जलाल क्या ये उरूज क्या ये ज़वाल क्या

वो भी बिगड़ा, हुई रुस्वाई भी

वक़्त तो वक़्त है रुकता नहीं इक पल के लिए

तुम ने कैसा ये राब्ता रक्खा

मौत इक दरिंदा है ज़िंदगी बला सी है

क्यूँ न हम सोच के साँचे में ही ढल कर देखें

किसी भी वहम को ख़ुद पर सवार मत करना

हम को ख़ुश आया तिरा हम से ख़फ़ा हो जाना

हम कि चेहरे पे न लाए कभी वीरानी को

हँसी की बात कि उस ने वहाँ बुला के मुझे

दश्त की प्यास बढ़ाने के लिए आए थे

दर्द को अश्क बनाने की ज़रूरत क्या थी

अब्र उतरा है चार-सू देखो

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