साबिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साबिर

साबिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साबिर
नामसाबिर
अंग्रेज़ी नामSabir
जन्म की तारीख1975
जन्म स्थानAurangabad

ये क्या बद-मज़ाक़ी है गर्द झाड़ते क्यूँ हो

ये कारोबार-ए-मोहब्बत है तुम न समझोगे

यहाँ पे हँसना रवा है रोना है बे-हयाई

उस के शर से मैं सदा माँगता रहता हूँ पनाह

तिरे तसव्वुर की धूप ओढ़े खड़ा हूँ छत पर

सारे मंज़र हसीन लगते हैं

सैंत कर ईमान कुछ दिन और रखना है अभी

सभी मुसाफ़िर चलें अगर एक रुख़ तो क्या है मज़ा सफ़र का

रखे रखे हो गए पुराने तमाम रिश्ते

मुझ से कल महफ़िल में उस ने मुस्कुरा कर बात की

हम उस की ख़ातिर बचा न पाएँगे उम्र अपनी

हँस हँस के उस से बातें किए जा रहे हो तुम

फ़स्ल बोई भी हम ने काटी भी

चिलचिलाती-धूप थी लेकिन था साया हम-क़दम

आफ़रीं लुत्फ़-ए-कलाम-ए-यार पर

वो और होंगे नुफ़ूस बे-दिल जो कहकशाएँ शुमारते हैं

वा'दा था कब का बार-ए-ख़ुदा सोचने तो दे

तुम्हारे आलम से मेरा आलम ज़रा अलग है

सैंत कर ईमान कुछ दिन और रखना है अभी

सच यही है कि बहुत आज घिन आती है मुझे

मुस्तक़र की ख़्वाहिश में मुंतशिर से रहते हैं

मुख़्तसर ही सही मयस्सर है

मुझे क़रार भँवर में उसे किनारे में

ख़ूबियों को मस्ख़ कर के ऐब जैसा कर दिया

हमारी बेचैनी उस की पलकें भिगो गई है

अख़ीर-ए-शब सर्द राख चूल्हे की झाड़ लाएँ

आहिस्ता बोलिएगा तमाशा खड़ा न हो

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