साबिर ज़फ़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साबिर ज़फ़र

साबिर ज़फ़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साबिर ज़फ़र
नामसाबिर ज़फ़र
अंग्रेज़ी नामSabir Zafar
जन्म की तारीख1949
जन्म स्थानRawalpindi

'ज़फ़र' वहाँ कि जहाँ हो कोई भी हद क़ाएम

'ज़फ़र' है बेहतरी इस में कि मैं ख़मोश रहूँ

ये ज़ख़्म-ए-इश्क़ है कोशिश करो हरा ही रहे

ये इब्तिदा थी कि मैं ने उसे पुकारा था

यहाँ है धूप वहाँ साए हैं चले जाओ

वो लोग आज ख़ुद इक दास्ताँ का हिस्सा हैं

वो क्यूँ न रूठता मैं ने भी तो ख़ता की थी

वो जाग रहा हो शायद अब तक

वो एक बार भी मुझ से नज़र मिलाए अगर

उस से बिछड़ के एक उसी का हाल नहीं मैं जान सका

उम्र भर लिखते रहे फिर भी वरक़ सादा रहा

तुम्हें तो क़ब्र की मिट्टी भी अब पुकारती है

सुब्ह की सैर की करता हूँ तमन्ना शब भर

शिकायत उस से नहीं अपने-आप से है मुझे

शाम से पहले तिरी शाम न होने दूँगा

शायरी फूल खिलाने के सिवा कुछ भी नहीं है तो 'ज़फ़र'

सर-ए-शाम लुट चुका हूँ सर-ए-आम लुट चुका हूँ

पहले भी ख़ुदा को मानता था

नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम

नामा-बर कोई नहीं है तो किसी लहर के हाथ

नए कपड़े बदल और बाल बना तिरे चाहने वाले और भी हैं

न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो

मुड़ के जो आ नहीं पाया होगा उस कूचे में जा के 'ज़फ़र'

मिलूँ तो कैसे मिलूँ बे-तलब किसी से मैं

मैं ने घाटे का भी इक सौदा किया

मैं सोचता हूँ मुझे इंतिज़ार किस का है

मैं ऐसे जमघटे में खो गया हूँ

कुछ बे-ठिकाना करती रहीं हिजरतें मुदाम

कितनी बे-सूद जुदाई है कि दुख भी न मिला

किसी ज़िंदाँ में सोचना है अबस

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