सादिक़ इंदौरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सादिक़ इंदौरी
नाम | सादिक़ इंदौरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Sadique Indori |
ज़िंदगी ग़म के अंधेरों में सँवरने से रही
ये क्या हुआ कि हर इक रस्म-ओ-राह तोड़ गए
ये इंतिहा-ए-जुनूँ है कि ग़ैर ही सा लगा
महक रहा है बदन सारा कैसी ख़ुशबू है
एक इक लम्हा मुझे ज़ीस्त से बे-ज़ारी है
दिल को पैहम दर्द से दो-चार रहने दीजिए