सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़
नाम | सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Sadruddin Mohammad Faez |
वही क़द्र 'फ़ाएज़' की जाने बहुत
उश्शाक़ जाँ-ब-कफ़ खड़े हैं तेरे आस-पास
तुझ को है हम से जुदाई आरज़ू
रात दिन तू रहे रक़ीबाँ-संग
पानी होवे आरसी उस मुख को देख
मैं ने कहा कि घर चलेगी मेरे साथ आज
करे रश्क-ए-गुलिस्ताँ दिल को 'फ़ाएज़'
जो कहिए उस के हक़ में कम है बे-शक
अब्र का साया ओ सब्ज़ा राह का
ज़ुल्फ़ तेरी हुई कमंद मुझे
तिरी गाली मुझ दिल को प्यारी लगे
रास्त अगर सर्व सी क़ामत करे
पेच भाया मुझ को तुझ दस्तार का
मुँह फूल से रंगीं था व सारी थी उस हरी
मेरी जाँ वो बादा-ख़्वारी याद है
मिरा महबूब सब का मन हरन है
मरे दिल बीच नक़्श-ए-नाज़नीं है
चौधवाँ उस चंदर का साल हुआ
ऐ ख़ूब-रू फ़रिश्ता सियर-अंजुमन में आ