आशिक़ जो चाहते थे वही काम हो गया
कल कल से रोज़ रोज़ की आराम हो गया
कहने लगी हैं जब से ग़ज़ल औरतें जनाब
मुर्दों से गुफ़्तुगू का ग़ज़ल नाम हो गया
Parveen Shakir
Gulzar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
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बारिशें नहीं होतीं
तौबा तौबा से नदामत की घड़ी आई है
उल्टी गंगा
दुम
मह-जबीनो पास आओ और ये बतलाओ हमें
ये हादसा है बता दे कोई ज़माने को
रह-ए-हयात में बस वो क़दम बढ़ा के चले
ज़रूरत-ए-रिश्ता
क्रिकेट मैच
नवादिरात की दूकान
टेम्परेरी जॉब
न लिक्खो वस्ल की राहत सलीब लिख डालो