साहिबा शहरयार कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साहिबा शहरयार
नाम | साहिबा शहरयार |
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अंग्रेज़ी नाम | Sahiba Sheheryar |
बंद आँखें करूँ और ख़्वाब तुम्हारे देखूँ
याद आता है मुझे रेत का घर बारिश में
उसे यक़ीं मिरी बातों पे अब न आएगा
थपकियाँ दे के तिरे ग़म को सुलाया हम ने
पहले होता था बहुत अब कभी होता ही नहीं
नींद इन आँखों में बन कर आए कोई
मुझ को वीरान सी रातों में जगाने वाले
मुझ को हर लम्हा नई एक कहानी देगा
हवा ने सीने में ख़ंजर छुपा के रक्खा है
इक बर्फ़ का दरिया अंदर था
छोड़ कर काशानों को ताइर गए
बंद आँखें करूँ और ख़्वाब तुम्हारे देखूँ
अब के बारिश को भी तो आने दे