मिल-मिला के दोनों ने दिल को कर दिया बरबाद
हुस्न ने किया बे-ख़ुद इश्क़ ने किया आज़ाद
Gulzar
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Wasi Shah
Ahmad Faraz
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किताब-ए-दर्स-ए-मजनूँ मुसहफ़-रुख़्सार-ए-लैला है
क्या शौक़ का आलम था कि हाथों से उड़ा ख़त
अयाँ 'अलीम' से है जिस्म-ओ-जान का इल्हाक़
हम गदा-ए-दर-ए-मय-ख़ाना हैं ऐ पीर-ए-मुग़ाँ
जला है किस क़दर दिल ज़ौक़-ए-काविश-हा-ए-मिज़्गाँ पर
मैं दीवाना हूँ और दैर-ओ-हरम से मुझ को वहशत है
कौनैन-ए-ऐन-ए-इल्म में है जल्वा-गाह-ए-हुस्न
था अनल-हक़ लब-ए-मंसूर पे क्या आप से आप
हर सर में ये सौदा है कि मैं ही मैं हूँ
नूर-ए-ईमाँ सुर्मा-ए-चश्म-ए-दिल-ओ-जाँ कीजिए
मैं नफ़्स-परस्ती से सदा ख़्वार रहा
काम इस दुनिया में आ कर हम ने क्या अच्छा किया