शेर क्या है आह है या वाह है
जिस से हर दिल की उभर आती है चोट
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ऐ परी-रू तिरे दीवाने का ईमाँ क्या है
जसद ने जान से पूछा कि क़ल्ब-ए-बे-रिया क्या है
चार उंसुर से बना है जिस्म-ए-पाक
क्या शौक़ का आलम था कि हाथों से उड़ा ख़त
गोया ज़बान हाल थी 'साहिर' ख़मोश था
दिल को यकसूई ने दी तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ की सलाह
है सनम-ख़ाना मिरा पैमान-ए-इश्क़
हौसला वज्ह-ए-तपिश-हा-ए-दिल-ओ-जाँ न हुआ
इस जिस्म की है पाँच अनासिर से बनावट
तक़वे के लिए जन्नत-ओ-कौसर हुए मख़्सूस
अहद-ए-मीसाक़ का लाज़िम है अदब ऐ वाइ'ज़
वजूद अब मिरा ला-फ़ना हो गया