ऐ तीनत अबस अब बदी से बाज़ आ
ऐ हुस्न-ए-इरादत अपना जल्वा दिखला
नेकी का गुज़र न होने पाया दिल में
अंजाम ब-ख़ैर हो जो हासिल हो सफ़ा
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
Anwar Masood
Habib Jalib
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अहद-ए-मीसाक़ का लाज़िम है अदब ऐ वाइ'ज़
मैं नफ़्स-परस्ती से सदा ख़्वार रहा
अज़ल से हम-नफ़सी है जो जान-ए-जाँ से हमें
हैं सात ज़मीं के तबक़ और सात हैं अफ़्लाक
गोया ज़बान हाल थी 'साहिर' ख़मोश था
किताब-ए-दर्स-ए-मजनूँ मुसहफ़-रुख़्सार-ए-लैला है
काम इस दुनिया में आ कर हम ने क्या अच्छा किया
पाबंदी-ए-अहकाम-ए-शरीअत है वहाँ फ़र्ज़
है सनम-ख़ाना मिरा पैमान-ए-इश्क़
दरमियान-ए-जिस्म-ओ-जाँ है इक अजब सूरत की आड़
बे-निशाँ साहिर निशाँ में आ के शायद बन गया
फ़ज़ा-ए-आलम-ए-क़ुदसी में है नश्व-ओ-नुमा मेरी