नूर-जहाँ के मज़ार पर

पहलू-ए-शाह में ये दुख़्तर-ए-जम्हूर की क़ब्र

कितने गुम-गश्ता फ़सानों का पता देती है

कितने ख़ूँ-रेज़ हक़ाएक़ से उठाती है नक़ाब

कितनी कुचली हुई जानों का पता देती है

कैसे मग़रूर शहंशाहों की तस्कीं के लिए

साल-हा-साल हसीनाओं के बाज़ार लगे

कैसे बहकी हुई नज़रों के तअय्युश के लिए

सुर्ख़ महलों में जवाँ जिस्मों के अम्बार लगे

कैसे हर शाख़ से मुँह-बंद महकती कलियाँ

नोच ली जाती थीं तज़ईन-ए-हरम की ख़ातिर

और मुरझा के भी आज़ाद न हो सकती थीं

ज़िल्ल-ए-सुबहान की उल्फ़त के भरम की ख़ातिर

कैसे इक फ़र्द के होंटों की ज़रा सी जुम्बिश

सर्द कर सकती थी बे-लौस वफ़ाओं के चराग़

लूट सकती थी दमकते हुए हाथों का सुहाग

तोड़ सकती थी मय-ए-इश्क़ से लबरेज़ अयाग़

सहमी सहमी सी फ़ज़ाओं में ये वीराँ मरक़द

इतना ख़ामोश है फ़रियाद-कुनाँ हो जैसे

सर्द शाख़ों में हवा चीख़ रही है ऐसे

रूह-ए-तक़्दीस-ओ-वफ़ा मर्सियाँ-ख़्वाँ हो जैसे

तू मिरी जान मुझे हैरत ओ हसरत से न देख

हम में कोई भी जहाँ-नूर ओ जहां-गीर नहीं

तू मुझे छोड़ के ठुकरा के भी जा सकती है

तेरे हाथों में मिरे हाथ हैं ज़ंजीर नहीं

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In Hindi By Famous Poet Sahir Ludhianvi. is written by Sahir Ludhianvi. Complete Poem in Hindi by Sahir Ludhianvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.