आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
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तुझे भुला देंगे अपने दिल से ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
तुलू-ए-इश्तिराकियत
तुम्हारे अहद-ए-वफ़ा को मैं अहद क्या समझूँ
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
एहसास-ए-कामराँ
ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया
हर एक दौर का मज़हब नया ख़ुदा लाया
मैं जब भी अकेली होती हूँ तुम चुपके से आ जाते हो
तोड़ लेंगे हर इक शय से रिश्ता तोड़ देने की नौबत तो आए
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया