अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
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बहुत घुटन है
मैं जागूँ सारी रैन सजन तुम सो जाओ
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया
मुझे गले से लगा लो बहुत उदास हूँ मैं
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद
सब में शामिल हो मगर सब से जुदा लगती हो
देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर ने
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें
तेरी आवाज़
गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से