हर एक दौर का मज़हब नया ख़ुदा लाया
करें तो हम भी मगर किस ख़ुदा की बात करें
Jaun Eliya
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(756) Peoples Rate This
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
अब वो करम करें कि सितम मैं नशे में हूँ
ये ज़मीं किस क़दर सजाई गई
लम्ह-ए-ग़नीामत
मुझे गले से लगा लो बहुत उदास हूँ मैं
ख़ुद्दारियों के ख़ून को अर्ज़ां न कर सके
हर-चंद मिरी क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार है महबूस
तरब-ज़ारों पे क्या बीती सनम-ख़ानों पे क्या गुज़री
किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया
हम से अगर है तर्क-ए-तअल्लुक़ तो क्या हुआ