फिर न कीजे मिरी गुस्ताख़-निगाही का गिला
देखिए आप ने फिर प्यार से देखा मुझ को
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इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के
तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो
बरसो राम धड़ाके से
देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर ने
शिकस्त-ए-ज़िंदाँ
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
मिरे दिल में आज क्या है तू कहे तो मैं बता दूँ
मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी
शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
सर-ज़मीन-ए-यास
नहीं किया तो कर के देख