तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Jaun Eliya
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1212) Peoples Rate This
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
सर-ज़मीन-ए-यास
पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने
गो मसलक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा भी है कोई चीज़
'गाँधी' हो या 'ग़ालिब' हो
गुलशन गुलशन फूल
शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
ख़ून फिर ख़ून है
इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के
शहज़ादे
बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों मोहब्बतों के दिए जला के
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ