साजिद हमीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साजिद हमीद

साजिद हमीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साजिद हमीद
नामसाजिद हमीद
अंग्रेज़ी नामSajid Hameed

समझ में वक़्त का आया करिश्मा

राएगाँ हो रही थी तंहाई

मुंजमिद था लहू रग-ओ-पय में

दर्द इतना भी नहीं है कि छुपा भी न सकूँ

ऐसी आग फ़लक से बरसेगी इक दिन

ज़मीं की आँख ख़ाली है दिनों ब'अद

ज़हर में डूबी हुई सुर्ख़ हिकायात में गुम

रूह को पहले ख़ाकसार किया

रंग बिरंगे सपनों जैसी आँखें तेरी

नज़र को तीर कर के रौशनी को देखने का

नया रौशन सहीफ़ा दिख रहा नईं

मेरी आँखों में नूर भर देना

मैं चाहता हूँ कि हर शय यहाँ सँवर जाए

दर्द इतना भी नहीं है कि छुपा भी न सकूँ

आरज़ूएँ सब ख़ाक हुईं

आँख से टूट कर गिरी थी नींद

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