सरख़ुशी मेरे लिए असबाब-ए-ग़म मेरे लिए

सरख़ुशी मेरे लिए असबाब-ए-ग़म मेरे लिए

मौजज़न है जैसे दरिया-ए-करम मेरे लिए

हर सितम मेरे लिए है हर करम मेरे लिए

हुस्न के जल्वे हैं सारे बेश-ओ-कम मेरे लिए

क्या हक़ीक़त है ग़म-ए-हस्ती की मेरे सामने

आए दिन ही गर्दन-ए-मीना है ख़म मेरे लिए

इश्क़ की बे-ताबियाँ हैं हुस्न की रानाइयाँ

हो गए हैं ज़ीस्त के सामाँ बहम मेरे लिए

ख़ुद पशेमाँ हूँ मैं अपने नाला-ए-शब-गीर पर

उफ़ वो चश्म-ए-कैफ़-आगीं और नम मेरे लिए

दिल की अज़्मत क्या कहूँ दिल की हक़ीक़त क्या कहूँ

जैसे हम-आग़ोश हों दैर-ओ-हरम मेरे लिए

इश्क़ की मोजिज़-नुमाई 'कैफ़' अब क्या पूछिए

बार-ए-हस्ती हो गया है ख़ुद ही कम मेरे लिए

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In Hindi By Famous Poet Saraswati Saran Kaif. is written by Saraswati Saran Kaif. Complete Poem in Hindi by Saraswati Saran Kaif. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.