सरफ़राज़ नवाज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सरफ़राज़ नवाज़

सरफ़राज़ नवाज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सरफ़राज़ नवाज़
नामसरफ़राज़ नवाज़
अंग्रेज़ी नामSarfraz Nawaz

वो कोई आम सा ही जुमला था

तुम्हारे सच की हिफ़ाज़त में यूँ हुआ अक्सर

सफ़र कहाँ से कहाँ तक पहुँच गया मेरा

मिरे बग़ैर कोई तुम को ढूँडता कैसे

कितना दुश्वार है इक लम्हा भी अपना होना

ख़ुदा करे कि वही बात उस के दिल में हो

इश्क़ अदब है तो अपने आप आए

हम अपने शहर से हो कर उदास आए थे

बे-सदा सी किसी आवाज़ के पीछे पीछे

बदन-सराए में ठहरा हुआ मुसाफ़िर हूँ

आईना चुपके से मंज़र वो चुरा लेता है

यूँ उड़ाती है जो हवा मुझ को

ये मैं ने माना कि पहरा है सख़्त रातों का

तिरे ख़ुलूस के क़िस्से सुना रहा हूँ मैं

नज़र भी आया तो ख़ुद से छुपा लिया मैं ने

मुझ को होना है तो दरवेश के जैसा हो जाऊँ

मौसमों वाले नए दाना ओ पानी वाले

लड़खड़ाता हूँ कभी ख़ुद ही सँभल जाता हूँ

किसे ख़बर थी कि इस को भी टूट जाना था

एक रस्ते की कहानी जो सुनी पानी से

दिए निगाहों के अपनी बुझाए बैठा हूँ

बला से नाम वो मेरा उछाल देता है

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