सरफ़राज़ ज़ाहिद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सरफ़राज़ ज़ाहिद

सरफ़राज़ ज़ाहिद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सरफ़राज़ ज़ाहिद
नामसरफ़राज़ ज़ाहिद
अंग्रेज़ी नामSarfraz Zahid

सुना है कोई दीवाना यहाँ पर

साल गुज़र जाता है सारा

इक अदावत से फ़राग़त नहीं मिलती वर्ना

ये जो तालाब है दरिया था कभी

फिर ऐसा मोड़ इस क़िस्से में आया

नज़र की धूप में आने से पहले

नज़र की धूप में आने से पहले

नज़र आते थे हम इक दूसरे को

मिल-जुल कर ईमान ख़ुदा पर ला सकते हैं

मकीन को मकान से निकालिए

ख़्वाब-ज़ादों का दुख ज़मीनी है

ख़्वाब में मंज़र रह जाता है

ख़ुद से अपना आप मिलाया जा सकता है

कभी होंटों पे ऐसा लम्स अपनी आँख खोले

जहाँ चौखट है वाँ ज़ीना था पहले

जब तआ'रुफ़ से बे-नियाज़ था मैं

हवा चलती है दम ठहरा हुआ है

ग़फ़लतों का समर उठाता हूँ

दो आँखों से कम से कम इक मंज़र में

भँवर में मशवरे पानी से लेता हूँ

ऐसी वैसी पे क़नाअ'त नहीं कर सकते हम

ऐसी वैसी पे क़नाअत नहीं कर सकते हम

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