लगा मजनूँ को ज़हर-ए-इश्क़ क्या आब-ए-बक़ा हो कर

लगा मजनूँ को ज़हर-ए-इश्क़ क्या आब-ए-बक़ा हो कर

वो ज़िंदा हो गया गोया मोहब्बत में फ़ना हो कर

बने थे मेहमाँ आग़ाज़-ए-उल्फ़त में मिरे दिल में

मकीन-ए-मुस्तक़िल अब बन गए शीरीं-अदा हो कर

मिटाते जो रहे मुझ को मुजस्सम ज़ुल्म बन बन कर

उन्हीं के दिल पे मैं उभरा किया नक़्श-ए-वफ़ा हो कर

उन्हीं को जल्वा-रेज़ी बन गई थी चाँदनी ग़म की

उफ़ुक़ पे दिल की वो चमका किए माह-ए-अज़ा हो कर

कुछ ऐसी थी कशिश मुझ में ख़िराज-ए-हुस्न भी पाया

हुआ मशहूर मैं इश्क़-ओ-मोहब्बत का ख़ुदा हो कर

ठिकाना याद-ए-माज़ी का अगर है तो मिरा दिल है

कहाँ पर जाएँगी 'सरताज' वो दिल से जुदा हो कर

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In Hindi By Famous Poet Sartaj Alam Abidi. is written by Sartaj Alam Abidi. Complete Poem in Hindi by Sartaj Alam Abidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.