बिखर जाएगी शाम आहिस्ता बोलो

बिखर जाएगी शाम आहिस्ता बोलो

तड़क जाएँगे जाम आहिस्ता बोलो

न दो दाग़ों के भेद आहों को रोको

न लो नालों का नाम आहिस्ता बोलो

न ले तन्हाई की रातों में इक दिन

ख़मोशी इंतिक़ाम आहिस्ता बोलो

यही होते हैं आदाब-ए-मोहब्बत

कि जब लो उस का नाम आहिस्ता बोलो

न जाने कौन बैठा हो कमीं में

अँधेरी है ये शाम आहिस्ता बोलो

फ़ुग़ान-ए-दिल से किस का दिल पसीजा

ये है सौदा-ए-ख़ाम आहिस्ता बोलो

अभी तो राह में दीवार-ओ-दर हैं

अभी दो चार गाम आहिस्ता बोलो

बहुत है सदमा-ए-यक-आह उस को

है नाज़ुक ये निज़ाम आहिस्ता बोलो

अभी तो बादा-ए-उल्फ़त का 'हक़्क़ी'

पिया है एक जाम आहिस्ता बोलो

(499) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shaanul Haq Haqqi. is written by Shaanul Haq Haqqi. Complete Poem in Hindi by Shaanul Haq Haqqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.