आ गया है वक़्त अब भुगतोगे ख़ामियाज़े बहुत

आ गया है वक़्त अब भुगतोगे ख़ामियाज़े बहुत

हम फ़क़ीरों पर कसे तुम ने भी आवाज़े बहुत

तुम ने जो क़िस्से किए मंसूब मेरी ज़ात से

थी हक़ीक़त उन में थोड़ी और अंदाज़े बहुत

जिन को अपनी कामयाबी का बड़ा पिंदार था

हम ने देखे हैं बिखरते उन के शीराज़े बहुत

घुट न जाए दम कहीं नफ़रत के इस माहौल में

कर लिए हम ने मुक़फ़्फ़ल दिल के दरवाज़े बहुत

शहर के मेले में यूँ तो गुल-रुख़ों की भीड़ थी

इन में चेहरे थे मगर कम और थे ग़ाज़े बहुत

बस वही होगा रज़ा को तेरी जो मंज़ूर है

काम आएँगे न कम्पयूटर के अंदाज़े बहुत

हम ने ठुकराए न-जाने कितने आँखों के पयाम

मह-वशों ने हम पे खोले दिल के दरवाज़े बहुत

रफ़्ता रफ़्ता वक़्त के मरहम से भर ही जाएँगे

इश्क़ ने जो ज़ख़्म बख़्शे हैं अभी ताज़े बहुत

हम शरीफ़ इंसाँ 'शबाब' इस घर में ना-महफ़ूज़ हैं

इस में दरवाज़े तो कम हैं चोर दरवाज़े बहुत

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In Hindi By Famous Poet Shabab Lalit. is written by Shabab Lalit. Complete Poem in Hindi by Shabab Lalit. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.