क्यूँ-कर न रहे ग़म-ए-निहानी तेरा
दुनिया में बता कौन है सानी तेरा
हम ले के असा दूर तलक ढूँड आए
कोसों नहीं नाम ऐ जवानी तेरा
Wasi Shah
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दिल मोरिद-ए-ईज़ा-ओ-बला होता है
हर हाल में आबरू-ए-फ़न लाज़िम है
कहाँ से लाऊँ सब्र-ए-हज़रत-ए-अय्यूब ऐ साक़ी
जो चाहिए देखना न देखा मैं ने
जैसे मिरी निगाह ने देखा न हो कभी
दिल-ए-मुज़्तर से पूछ ऐ रौनक़-ए-बज़्म
लहद में क्यूँ न जाऊँ मुँह छुपाए
कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना आप का
चमन में जा के हम ने ग़ौर से औराक़-ए-गुल देखे
भरे हों आँख में आँसू ख़मीदा गर्दन हो
हज़ार शुक्र मैं तेरे सिवा किसी का नहीं
तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ