बद-गुमानी जो हुई शम्अ' से परवाने को

बद-गुमानी जो हुई शम्अ' से परवाने को

शम्अ' ने आग रखी सर पे क़सम खाने को

हर-दम आँखें हैं खुली इस लिए रोज़ों की तरह

पुतलियों का हूँ तमाशा उसे दिखलाने को

मस्त बे-ख़ुद नहीं दीवाना-ए-होशियार हूँ मैं

उस को समझाऊँ जो आए मिरे समझाने को

वो बचाए तो न आँच आए समुंदर की तरह

मगर परवाना गिरे शम्अ' पे जल जाने को

अश्क-ए-ख़ूँ दीदा-ए-नासूर से रेनी की तरह

ज़ख़्म-ए-ख़ंदाँ मुझे हँस हँस के हैं रुलवाने को

दूँ-नवाज़ी पे तिरी तुफ़ फ़लक दूँ-परवर

हंस मोती चुगे तरसे बशर इक दाने को

चाहिए दस्त-ए-जुनूँ ताज़ा ख़राश-ए-नाख़ुन

रविश-ए-सब्ज़ा मिरे ज़ख़्म हैं मुरझाने को

दोस्त-दारों ने किया अव्वल-ए-मंज़िल आख़िर

हद के यार आए लहद तक मुझे पहुँचाने को

एवज़-ए-अश्क बहाऊँ मैं लहू आँखों से

ज़ख़्म-ए-ख़ंदाँ मुझे हँस हँस है रुलवाने को

दफ़्न-ए-मय्यत के लिए गर्द-ए-मलाल-ए-ख़ातिर

अरक़-ए-शर्म है काफ़ी मिरे नहलाने को

झोंपड़े बादा-कशो चाहिए गुलशन गुलशन

छावनी सी है गुलिस्ताँ में घटा छाने को

चश्म-पोशों से रहूँ 'शाद' मैं क्या आईना-दार

मुँह पे काना नहीं कहता है कोई काने को

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In Hindi By Famous Poet Shad Lakhnavi. is written by Shad Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Shad Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.