शाहिद मीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाहिद मीर

शाहिद मीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाहिद मीर
नामशाहिद मीर
अंग्रेज़ी नामShahid Meer
जन्म की तारीख1949
जन्म स्थानBhopal

वही सफ़्फ़ाक हवाओं का सदफ़ बनते हैं

तुझ को देखा नहीं महसूस किया है मैं ने

रोने से और लुत्फ़ वफ़ाओं का बढ़ गया

पहले तो छीन ली मिरी आँखों की रौशनी

गँवाए बैठे हैं आँखों की रौशनी 'शाहिद'

बुझती हुई सी एक शबीह ज़ेहन में लिए

और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन

ज़ेहन में लगता है जब ख़ुश-रंग लफ़्ज़ों का हुजूम

वार हुआ कुछ इतना गहरा पानी का

उजले मोती हम ने माँगे थे किसी से थाल भर

तारीकियों का हम थे हदफ़ देखते रहे

समुंदरों में अगर ख़लफ़िशार-ए-आब न हो

न जाने क्या हुए अतराफ़ देखने वाले

मीनारों से ऊपर निकला दीवारों से पार हुआ

मजमा' मिरे हिसार में सैलानियों का है

ख़ौफ़ से अब यूँ न अपने घर का दरवाज़ा लगा

हर इरादा मुज़्महिल हर फ़ैसला कमज़ोर था

इक सब्ज़ रंग बाग़ दिखाया गया मुझे

ऐसे भी कुछ ग़म होते हैं

ऐ ख़ुदा रेत के सहरा को समुंदर कर दे

आँसुओं में ज़रा सी हँसी घोल कर

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