शहराम सर्मदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहराम सर्मदी
नाम | शहराम सर्मदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahram Sarmadi |
जन्म की तारीख | 1975 |
जन्म स्थान | Iran |
मिरे अलावा सभी लोग अब ये मानते हैं
फ़क़त ज़मान ओ मकाँ में ज़रा सा फ़र्क़ आया
ब-नाम-ए-इश्क़ इक एहसान सा अभी तक है
वो बात
तुम अपनी सब्ज़ आँखें बंद कर लो
तज्ज़िया
शिकस्त
पतंग उड़ाने से पहले
पहले इश्क़ की मौत पर
मुनकिर-ए-हक़
मौसम-ए-हिज्र में
मैं वापस आऊँगा
महसूर था
लौह-ए-अय्याम
किताब गुमराह कर रही है
ख़ुदा से
ख़ला सा कहीं है
कार-ए-जहाँ दराज़ है
कार-ए-बेहूदा
कल शाम
जब तुम मुझ से मिलने आओ
हुवल-इश्क़
अपना अपना दुख
ऐसा हो कि ना-मौऊद हो
अहल-ए-दिल को बुला रहा हूँ
अभी मैं ये सोच ही रहा था
याद की बस्ती का यूँ तो हर मकाँ ख़ाली हुआ
वो एक लम्हा-ए-रफ़्ता भी क्या बुला लाया
तो क्या तड़प न थी अब के मिरे पुकारे में
सुन रखा था तजरबा लेकिन ये पहला था मिरा