सुन रखा था तजरबा लेकिन ये पहला था मिरा

सुन रखा था तजरबा लेकिन ये पहला था मिरा

जब किसी के नाम पर बे-वज्ह दिल धड़का मिरा

इक उचटती सी नज़र उस पर गई और यूँ लगा

खो गया जैसे कहीं हर्फ़-ए-तमन्ना सा मिरा

इश्क़ में मैं भी बहुत मोहतात था सब झूट है

और ये साबित कर गया कल रात का रोना मिरा

एक हर्फ़-ए-हक़ की ता-नोक-ए-ज़बाँ आमद मगर

मस्लहत ख़ामोशी और आमन्ना-सद्दक़ना मिरा

अपने मेहवर पर ज़मीं आए तो लम्हा भर सही

देर से ख़ाली पड़ा है ख़ाका-ए-दुनिया मिरा

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In Hindi By Famous Poet Shahram Sarmadi. is written by Shahram Sarmadi. Complete Poem in Hindi by Shahram Sarmadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.