बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

गज़क है दाग़ मुझे और ख़ून-ए-नाब शराब

अगर है शौक़-ए-तहारत शराब पी ज़ाहिद

तिरे निजासत-ए-क़ल्बी को होगी आब शराब

दिमाग़ अहल-ए-ख़राबात के मोअ'त्तर हैं

कबाब नाफ़ा-ए-मुश्क-ए-ख़ुतन गुलाब शराब

पियूँ नजात समझ के जो इश्क़-ए-साक़ी है

दरूद पढ़ के तपाऊँ पए सवाब शराब

बग़ैर सुक्र हुआ है ये आलम-ए-सकरात

हमारे मुँह में चुवाव ब-जाए आब शराब

चमन पे झूम रहा है सियाह मस्ती में

अजब बहार है बरसाए जो सहाब शराब

शब-ए-विसाल है अंजुम खिलाएँ नक़्ल मुझे

पिलाए अपने पियाले में माहताब शराब

बहुत मज़म्मत-ए-मय-ख़्वार लिख रहा है शैख़

ख़ुदा करे कि बने जदवल-ए-किताब शराब

चले बहार के अय्याम साक़ी-ए-गुल-रू

मिरा शबाब है मेहमान ला शिताब शराब

कोई गज़क गज़क-ए-हुस्न से नहीं आ'ला

शराबों में है मय-ए-इश्क़ इंतिख़ाब शराब

है नूर-ए-नश्शा ज़िया-बख़्श दीदा-ए-इरफ़ाँ

दुर-ए-यगाना-ए-दिल की है आब-ओ-ताब शराब

ख़ुदा के घर में वो बर्रा रहा है ऐ रिंदो

जगाओ शैख़ को छिड़को ब-रू-ए-ख़्वाब शराब

न देखे बुग़्ज़ से मानिंद-ए-शप्परक ज़ाहिद

है अपने नूर से हम-जाम-ए-आफ़्ताब शराब

नशात-ओ-ऐश जहाँ पर न 'बहर' लहराना

कि बाग़-ए-सब्ज़-ए-गुलिस्तान है सराब शराब

(911) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Baghair Yar Gawara Nahin Kabab Sharab In Hindi By Famous Poet Imdad Ali Bahr. Baghair Yar Gawara Nahin Kabab Sharab is written by Imdad Ali Bahr. Complete Poem Baghair Yar Gawara Nahin Kabab Sharab in Hindi by Imdad Ali Bahr. Download free Baghair Yar Gawara Nahin Kabab Sharab Poem for Youth in PDF. Baghair Yar Gawara Nahin Kabab Sharab is a Poem on Inspiration for young students. Share Baghair Yar Gawara Nahin Kabab Sharab with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.