शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम (page 5)
नाम | शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम |
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अंग्रेज़ी नाम | Shaikh Zahuruddin Hatim |
जन्म की तारीख | 1699 |
मौत की तिथि | 1783 |
जन्म स्थान | Delhi |
कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ
कलेजा मुँह को आया और नफ़स करने लगा तंगी
कई फ़रहाद हैं जूया तिरे शीरीं लब के
कई दीवान कह चुका 'हातिम'
कहो तो किस तरह आवे वहाँ नींद
कहें हम बहर-ए-बे-पायान-ए-ग़म की माहियत किस से
कहाँ है दिल जो कहूँ होवे आ के दीवाना
कभू तू रो तो उस को ख़ाक ऊपर जा के ऐ लैला
कभू पहुँची न उस के दिल तलक रह ही में थक बैठी
कभू जो शैख़ दिखाऊँ मैं अपने बुत के तईं
कभू बीमार सुन कर वो अयादत को तो आता था
कब ये दिल ओ दिमाग़ है मिन्नत-ए-शम्अ खींचिए
जुनूँ है फ़ौज फ़ौज और इस तरफ़ 'हातिम' अकेला है
जो जी में आवे तो टुक झाँक अपने दिल की तरफ़
जो अज़ल में क़लम चली सो चली
जिस तरफ़ को मैं गया रोता हुआ
जिस ने पाया उसे सो है ख़ामोश
जिस के मुँह की उतर गई लोई
जी उठूँ फिर कर अगर तू एक बोसा दे मुझे
जवाब-ए-नामा या देता नहीं या क़ैद करता है
जामा उर्यानी का क़ामत पर मिरी आया है रास्त
जब तक कि गरेबान में यक तार रहेगा
जब से तेरी नज़र पड़ी है झलक
जब पुकारे है वो अबे ओ होत
जब हुए 'हातिम' हम उस से आश्ना
जाने न पाए उस को जहाँ हो तहाँ से लाओ
जा भिड़ाता है हमेशा मुझे ख़ूँ-ख़्वारों से
इतना मैं इंतिज़ार किया उस की राह में
इश्क़-बाज़ी बुल-हवस बाज़ी न जान
इश्क़ उस का आन कर यक-बारगी सब ले गया