तिरी जो ज़ुल्फ़ का आया ख़याल आँखों में
वहीं खटकने लगा बाल बाल आँखों में
Javed Akhtar
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(461) Peoples Rate This
किस से कहूँ मैं हाल-ए-दिल अपना कि ता सुने
किस सितमगर का गुनाहगार हूँ अल्लाह अल्लाह
दे के दिल हाथ तिरे अपने हाथ
ताबे रज़ा का उस की अज़ल सीं किया मुझे
क़िस्सा-ए-मजनूँ-ओ-फ़र्हाद भी इक पर्दा है
देखा किसी ने हम से ज़माने ने क्या किया
कभू पहुँची न उस के दिल तलक रह ही में थक बैठी
तुम तो बैठे हुए पुर-आफ़त हो
ने शिकवा-मंद दिल से न अज़-दस्त-दीदा हूँ
किस तरह पहुँचूँ मैं अपने यार किन पंजाब में
वस्फ़ अँखियों का लिखा हम ने गुल-ए-बादाम पर
रहन-ए-शराब-ख़ाना किया शैख़ हैफ़ है