तू जो मूसा हो तो उस का हर तरफ़ दीदार है
सब अयाँ है क्या तजल्ली को यहाँ तकरार है
Anwar Masood
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Allama Iqbal
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Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Gulzar
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आज हमें और ही नज़र आता है कुछ सोहबत का रंग
जी उठूँ फिर कर अगर तू एक बोसा दे मुझे
बंदा अगर जहाँ में बजाए ख़ुदा नहीं
किस तरह से गुज़ार करूँ राह-ए-इश्क़ में
तू जो कहता है बोलता क्या है
दर्द-ए-दिल मेरी आह से पूछो
जब वो आली-दिमाग़ हँसता है
जिस ने पाया उसे सो है ख़ामोश
दौरा है जब से बज़्म में तेरी शराब का
एक दिन पूछा न 'हातिम' को कभू उस ने कि दोस्त
कौन दिल है कि तिरे दर्द में बीमार नहीं
कभू तू रो तो उस को ख़ाक ऊपर जा के ऐ लैला