तुम्हारे इश्क़ में हम नंग-ओ-नाम भूल गए
जहाँ में काम थे जितने तमाम भूल गए
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ऐ ख़िज़ाँ भाग जा चमन से शिताब
इश्क़ ने किश्वर-ए-दिल लूटा है
होली
क्या उस की सिफ़त में गुफ़्तुगू है
ऐसा करूँगा अब के गरेबाँ को तार तार
कोहकन जाँ-कनी है मुश्किल काम
मुद्दत हुई पलक से पलक आश्ना नहीं
मस्तों का दिल है शीशा और संग-दिल है साक़ी
न बुलबुल में न परवाने में देखा
दिल-ए-उश्शाक़ परिंदों की तरह उड़ते हैं
शहर में चर्चा है अब तेरी निगाह-ए-तेज़ का
अजब अहवाल देखा इस ज़माने के अमीरों का