टूटे दिल को बना दिखावे
ऐसा कोई कारी-गर न देखा
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घर-ब-घर है वो मस्त-ए-इश्वा-ओ-नाज़
दिल-ए-नाज़ुक मिरा हाथों में सँभाले रखियो
जा भिड़ाता है हमेशा मुझे ख़ूँ-ख़्वारों से
जब तक कि गरेबान में यक तार रहेगा
छल-बल उस की निगाह का मत पूछ
जिस के मुँह की उतर गई लोई
हम को कब इंतिज़ार है फ़स्ल-ए-बहार हो न हो
जाने न पाए उस को जहाँ हो तहाँ से लाओ
हस्ती की क़ैद से ऐ दिल आज़ाद होइए
बे तिरे जान न थी जान मिरी जान के बीच
जी उठूँ फिर कर अगर तू एक बोसा दे मुझे
कोहकन जाँ-कनी है मुश्किल काम